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Monday, April 8, 2024

"चुनावी सलाहकारों के बयान..." : प्रशांत किशोर की नसीहत पर कांग्रेस का तंज

कांग्रेस ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नई सलाह और आलोचना पर तंज कसा है. पार्टी ने उनकी नसीहत को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि 'सलाहकारों की टिप्पणियों' के लिए किसी तरह की प्रतिक्रिया की जरूरत नहीं है. प्रशांत किशोर ने पीटीआई के साथ इंटरव्यू में कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के लिए एक चेकलिस्ट दी थी, जिसमें ये सलाह भी शामिल थी कि अगर पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, तो वो अलग हो जाएं.

आज प्रशांत किशोर की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "मैं सलाहकारों की टिप्पणियों पर जवाब नहीं देती. राजनीतिक लोगों के बारे में बात करें, सलाहकारों पर जवाब देने के लिए क्या है?"

पीटीआई के साथ बातचीत में, प्रशांत किशोर ने कहा था कि राहुल गांधी एक दशक से पार्टी चला रहे हैं, लेकिन परिणाम देने या पार्टी से अलग रहने में भी असमर्थ रहे हैं.

प्रशांत किशोर ने कहा, ''जब आप पिछले 10 सालों से बिना किसी सफलता के एक ही काम कर रहे हैं, तो ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है. आपको किसी और को पांच साल के लिए ये काम करने देना चाहिए. आपकी मां ने ऐसा किया था.'' उन्होंने उस समय की ओर इशारा करते हुए कहा, जब 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने पार्टी मामलों को पीवी नरसिम्हा राव पर छोड़ दिया था.

कांग्रेस के कड़े आलोचक माने जाने वाले चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि राहुल गांधी का शो चलाने का तरीका अलोकतांत्रिक भी है. प्रशांत किशोर ने 2017 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की जीत को लेकर रणनीति बनाई थी. वो कुछ साल पहले कांग्रेस के रिवाइव के लिए एक प्रजेंटेशन भी लेकर कांग्रेस आलाकमान के पास गए थे, लेकिन इसको पूरा करने को लेकर पार्टी नेताओं की असहमति के बाद वो इससे दूर हो गए थे.

यूपीए शासन के एक दशक के बाद भी, कांग्रेस की स्थिति खराब है. पार्टी की सीटें, राष्ट्रीय स्तर पर वोट शेयर और राज्यों में मौजूदगी और ताकत तेजी से घट रही है.

पिछले साल कर्नाटक में जीत के बाद, प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को सलाह दी थी कि "विधानसभा चुनाव के नतीजों को ये समझने की भूल न करें कि लोकसभा चुनाव में क्या होने वाला है."

प्रशांत किशोर ने 2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद औपचारिक रूप से एक चुनावी रणनीतिकार का काम छोड़ दिया है. बंगाल के उस चुनाव में ममता बनर्जी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था.



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